भारतीय साड़ी के खास प्रिंट्स जो देंगे आपको अलग पहचान | Special prints of Indian fashion which will give you a different identity

भारतीय साड़ी के खास प्रिंट्स की बात करें तो ये न सिर्फ फैशन का हिस्सा होते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और शिल्पकारी का प्रतीक भी हैं। इस लेख में हम आपको विभिन्न प्रकार के प्रिंट्स के बारे में बताएंगे, जैसे बांधनी, कालामकारी, ब्लॉक प्रिंट, अज्रक, फ्लोरल और अन्य। हर प्रिंट का अपना एक इतिहास और महत्ता होती है, जो इसे खास बनाती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि कौन सा प्रिंट किस मौके के लिए उपयुक्त है और कैसे ये प्रिंट्स आपके स्टाइल में चार चाँद लगा सकते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। इसके अलावा, हम चर्चा करेंगे कि कैसे ये प्रिंट्स आपको फैशन की दुनिया में एक अलग पहचान देते हैं। लेख में दिए गए सुझाव आपको सही प्रिंट चुनने में मदद करेंगे, जिससे आप हर मौके पर सबसे खास दिखेंगी। तो आइए, इस अनोखी यात्रा में हमारे साथ जुड़ें और जानें भारतीय साड़ियों की अनकही कहानियाँ।

Special prints of Indian saree which will give you a different identity

साड़ियों की दुनिया में अगर कोई चीज़ सबसे ज़्यादा ध्यान खींचती है, तो वो है उनके प्रिंट्स। साड़ी सिर्फ़ एक कपड़ा नहीं है, ये भारतीय संस्कृति, विरासत और परंपराओं का प्रतीक है। हर साड़ी की अपनी एक कहानी होती है, और उस कहानी को सबसे खूबसूरती से बयान करते हैं उसके प्रिंट्स। आज हम भारतीय साड़ियों में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रिंट्स पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि आखिर ये प्रिंट्स इतने ख़ास क्यों होते हैं।

Table of Contents

 1. बांधनी प्रिंट – राजस्थान की शान

बांधनी प्रिंट, जिसे टाई-डाई के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान और गुजरात की पारंपरिक कला है। इस प्रिंट को बनाने की प्रक्रिया काफ़ी जटिल होती है, जिसमें कपड़े को बांधकर डाई किया जाता है। ये प्रिंट साड़ी में रंगों की एक अद्भुत छटा बिखेरता है। बांधनी प्रिंट की साड़ियाँ शादियों, त्योहारों और विशेष मौकों पर पहनी जाती हैं। इनकी रंग-बिरंगी छवि पहनने वाले को भीड़ में अलग पहचान देती है।

 2. कालामकारी प्रिंट – हस्तकला का अद्भुत नमूना

कालामकारी एक प्राचीन कला है जिसमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल कर हाथों से साड़ी पर चित्र बनाए जाते हैं। इस प्रिंट में मुख्यतः धार्मिक और पौराणिक कथाओं को दर्शाया जाता है। दक्षिण भारत की कालामकारी साड़ियाँ आज भी अपनी पारंपरिक सुंदरता और बारीकी से बनाई गई डिज़ाइनों के लिए जानी जाती हैं। यदि आप ऐसी साड़ी पहनना चाहती हैं जिसमें कला और संस्कृति का समावेश हो, तो कालामकारी साड़ी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

 3. बटक प्रिंट – समृद्ध इतिहास की झलक

बटक प्रिंट की उत्पत्ति प्राचीन काल में इंडोनेशिया से मानी जाती है, लेकिन भारत में इसे बड़े चाव से अपनाया गया। यह प्रिंट वैक्स-रिज़िस्ट तकनीक से बनाया जाता है और इसमें जटिल डिज़ाइन होते हैं। बटक साड़ियाँ अक्सर हल्की और आरामदायक होती हैं, जो उन्हें गर्मियों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती हैं। इस प्रिंट की साड़ियाँ पारंपरिक होने के साथ-साथ आधुनिकता का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।

 4. ब्लॉक प्रिंट – सादगी और खूबसूरती का संगम

ब्लॉक प्रिंटिंग भारतीय साड़ियों में सबसे पुरानी और लोकप्रिय प्रिंटिंग तकनीकों में से एक है। इस तकनीक में लकड़ी के ब्लॉक्स का उपयोग कर कपड़े पर डिज़ाइन बनाए जाते हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में ब्लॉक प्रिंटिंग का काफ़ी चलन है। इस प्रकार की साड़ियाँ न सिर्फ़ खूबसूरत दिखती हैं, बल्कि इन्हें पहनने पर एक खास पारंपरिक एहसास भी होता है। ब्लॉक प्रिंटेड साड़ियाँ हल्की और आरामदायक होती हैं, जिन्हें आप रोज़मर्रा के साथ-साथ विशेष अवसरों पर भी पहन सकती हैं।

 5. अज्रक प्रिंट – सिंध की समृद्ध विरासत

अज्रक प्रिंट का इतिहास सिंध से जुड़ा हुआ है, लेकिन आज यह गुजरात और राजस्थान में भी काफ़ी लोकप्रिय है। यह प्रिंट विशेष प्रकार की प्राकृतिक रंगाई और ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक का मिश्रण होता है। अज्रक प्रिंट की साड़ियाँ गहरे रंगों और ज्यामितीय डिज़ाइनों के लिए जानी जाती हैं। ये साड़ियाँ पारंपरिक होते हुए भी आधुनिक फैशन के साथ पूरी तरह मेल खाती हैं।

 6. फ्लोरल प्रिंट – सदाबहार फैशन

फूलों की खूबसूरती को कौन नकार सकता है? फ्लोरल प्रिंट्स हर दौर में लोकप्रिय रहे हैं और साड़ियों में इनका इस्तेमाल हमेशा से फैशन का हिस्सा रहा है। हल्के रंगों के फूलों के डिज़ाइन से लेकर गहरे और बड़े-बड़े फ्लोरल पैटर्न्स तक, इस प्रिंट की साड़ियाँ हर मौसम और अवसर के लिए उपयुक्त होती हैं। अगर आप किसी उत्सव या कैज़ुअल अवसर पर कुछ अलग और सुंदर पहनना चाहती हैं, तो फ्लोरल प्रिंट वाली साड़ी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

 7. इकत प्रिंट – शिल्प और परंपरा का मिलन

इकत प्रिंट, जिसे बांधकर रंगाई की प्रक्रिया से बनाया जाता है, भारत के ओडिशा, तेलंगाना और गुजरात में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस प्रिंट में कपड़े पर बने पैटर्न धुंधले और अनियमित दिखते हैं, जो इसे एक अद्वितीय आकर्षण देते हैं। इकत साड़ियाँ पारंपरिक होते हुए भी बेहद आधुनिक दिखती हैं और इन्हें शादी-ब्याह से लेकर औपचारिक कार्यक्रमों में पहना जा सकता है।

 8. लेहरिया प्रिंट – रंगों की लहरों में डूबी साड़ियाँ

लेहरिया प्रिंट मुख्यतः राजस्थान में प्रचलित है, और इसका नाम इसके डिज़ाइन की लहरदार संरचना से लिया गया है। इस प्रिंट की साड़ियाँ गहरे और हल्के रंगों का मिश्रण होती हैं और इनमें रंगों की लहरें सी बिखरी रहती हैं। लेहरिया साड़ियों की खासियत है कि ये हल्की और पहनने में बेहद आरामदायक होती हैं, जिन्हें मानसून के मौसम में विशेष रूप से पहना जाता है।

 9. पैसली प्रिंट – पारंपरिकता और आधुनिकता का मेल

पैसली प्रिंट, जिसे आम भाषा में ‘मंगलकलश’ डिज़ाइन भी कहा जाता है, भारतीय साड़ियों में सदियों से प्रयोग हो रहा है। इस प्रिंट की साड़ियाँ शाही और राजसी लगती हैं, और इनका इस्तेमाल विशेषकर शादी-ब्याह और उत्सवों में किया जाता है। पैसली प्रिंट्स की खासियत है कि ये कभी भी आउट ऑफ फैशन नहीं होते और हर पीढ़ी को आकर्षित करते हैं।

 10. चिकनकारी प्रिंट – लखनऊ की नज़ाकत

चिकनकारी, जिसे लखनऊ की मशहूर कढ़ाई के रूप में जाना जाता है, भारतीय साड़ियों में एक बेहद ही लोकप्रिय प्रिंट है। हल्के और सजीले डिज़ाइनों के कारण चिकनकारी साड़ियाँ गर्मियों में पहनने के लिए एक आदर्श विकल्प हैं। इस प्रिंट में बारीक कढ़ाई होती है जो कपड़े पर बेहद नाज़ुक और खूबसूरत दिखती है। चिकनकारी साड़ियों का आकर्षण इतना है कि ये न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बेहद पसंद की जाती हैं। यह न सिर्फ़ शाही नज़ाकत को दर्शाती है, बल्कि पहनने वाले को एक गरिमापूर्ण और शालीन लुक भी देती है।

 11. धोती प्रिंट – सादगी में नयापन

धोती प्रिंट साड़ियों की एक खासियत है जो पारंपरिक और सादगीपूर्ण होती हैं। ये प्रिंट अक्सर सादे रंगों में होते हैं और इनमें बड़े डिज़ाइन नहीं होते, फिर भी इनकी ख़ासियत यही है कि ये सादगी में भी आकर्षक लगती हैं। धोती प्रिंट की साड़ियाँ काफ़ी आरामदायक होती हैं और इन्हें रोज़ाना पहनने के लिए चुना जा सकता है। इसकी सरलता और आराम इसे हर आयु वर्ग की महिलाओं के बीच लोकप्रिय बनाते हैं।

 12. मधुबनी प्रिंट – बिहार की लोक कला का संगम

मधुबनी पेंटिंग एक ऐसी कला है, जो बिहार की मिट्टी से जुड़ी है, और इसका इस्तेमाल साड़ियों पर भी किया जाता है। मधुबनी प्रिंट साड़ियों पर ज्यादातर धार्मिक और प्राकृतिक दृश्यों को दर्शाया जाता है, जैसे भगवानों की मूर्तियाँ, पत्तियाँ, पशु-पक्षी आदि। यह प्रिंट जीवंत रंगों और जटिल डिज़ाइनों के साथ आता है, जो इसे अलग पहचान देते हैं। यदि आप कला प्रेमी हैं और कुछ अनोखा पहनना चाहती हैं, तो मधुबनी प्रिंट वाली साड़ी आपके लिए बिल्कुल सही विकल्प हो सकती है।

 13. फुलकारी प्रिंट – पंजाब की रंग-बिरंगी परंपरा

फुलकारी प्रिंट पंजाब की शान है, और इस प्रिंट का मुख्य आकर्षण इसकी रंग-बिरंगी कढ़ाई होती है। फुलकारी का अर्थ ही “फूलों की कढ़ाई” होता है, और इस प्रिंट की साड़ियों पर मोटी और भरी हुई कढ़ाई की जाती है। यह साड़ी मुख्यतः शादियों और विशेष मौकों पर पहनी जाती है, और इसे पहनने वाली महिला बेहद शानदार दिखती है। फुलकारी साड़ी में हर रंग का मेल इसे एक आकर्षक रूप देता है और यह पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।

 14. डोरा प्रिंट – धागों का खेल

डोरा प्रिंट एक अनोखा प्रिंट है जिसमें साड़ी पर धागों से जटिल डिज़ाइन बनाए जाते हैं। इस प्रिंट की साड़ियाँ खासतौर से शादी-ब्याह और उत्सवों के लिए उपयुक्त होती हैं। डोरा प्रिंट में साड़ी पर धागों से बनाए गए पैटर्न बेहद आकर्षक लगते हैं और यह प्रिंट पहनने वाली महिला को एक शाही रूप देता है। इसकी खासियत यह है कि यह पारंपरिक होते हुए भी एक आधुनिक लुक देती है, जिसे हर उम्र की महिलाएँ पसंद करती हैं।

 15. संगानेरी प्रिंट – जयपुर की सादगी और खूबसूरती

संगानेरी प्रिंट जयपुर, राजस्थान से जुड़ा हुआ है और इसे हाथ से ब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक से बनाया जाता है। इस प्रिंट की साड़ियाँ आमतौर पर हल्के और पेस्टल रंगों में होती हैं, जो गर्मियों में पहनने के लिए बेहद आरामदायक होती हैं। संगानेरी प्रिंट की साड़ियाँ साधारण और आकर्षक डिज़ाइनों से सजी होती हैं, जो पहनने वाले को एक सादगीपूर्ण और गरिमापूर्ण लुक देती हैं। इस प्रिंट की ख़ासियत यह है कि यह कभी भी फैशन से बाहर नहीं होता और हमेशा एक क्लासिक विकल्प बना रहता है।

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